नई दिल्ली. पुरानी दिल्ली की सड़कों में शाम के वक्त सूरज की चमक भले ही फीकी पड़ रही थी, लेकिन यहां बनी चुन्नामल की हवेली की चमक आज भी वैसे की वैसी है, जैसे 1864 में निर्माण के समय थी. यह वही हवेली है, जहां पर किसी समय पर राजा-महाराजा उधारी लेने के लिए ‘लाइन’ लगाते थे. दिलचस्प बात जब बहादुरशाह जफर का समय खराब आया, वो भी यहां पर उधारी लेने पहुंचे लेकिन उन्हें चुन्नामल ने मना कर दिया. आइए जानें इस ऐतिहासिक हवेली के बारे में विस्तार से.
लाल किला से चांदनी चौक होकर फतेहपुरी की ओर जाने पर दाएं ओर एक हवेली दिखाई देगी. इसकी सिर्फ लंबाई देखकर कोई भी आसानी से अंदाजा लगा सकता है कि सबसे बड़ी हवेली यही होगी. एक ओर से दूसरे छोर तक पहुंचाने में आपको समय लगेगा. हालांकि यह केवल दो मंजिल ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर ही है. लेकिन अपनी भव्य और विशाल होने की कहानी दूर से बयां करती है. हवेली को देखते ही लोग समझ जाते हैं कि किसी रईस की हवेली होगी.
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